"समय"

अज़ब करवां है ए समय तेरा
किसी को देता रात अंधेरी
तो देता किसी को सवेरा
पग पग करता रहा तो पीछा
गम और खुशी में सबको सींचा
गज़ब परमात्मा की लीला है तू
जिसने तुझे बनाया उसको तूने ही भींचा
परमात्मा बना कर खुश है तुझे
तूने सबके कर्मों को रखा है खिंचा
पल पल बह रहा तो समय की धारा सा
निर्मल होकर लगा तू किनारा सा
पकड़ा रहा जो तुझे वो पार जिसने छोड़ा वो डूब गया
पल पल अकड़ दिखा रहा वो किनारा
जिसके सहारे कट रही थी जिंदगी की धारा
किसी ने न सोचा बहती जिंदगी
तेरी ही थी धारा, पृथ्वी , सघनँ,
मनन , मत्ति, कुंठित काया
जिसको रहते समय कोई समझ न पाया
अज़ब करवां है ए समय तेरा
किसी को देता रात अंधेरी
तो देता किसी को सवेरा......
-सोहन सिंह

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