"श्वाश सहारा"



जीवन प्रहरी।
मात्र एक धारा।।
साँसों में बहती।
श्वाश भरमारा।।
चल रहा समय।
छूटता जा रहा रिश्तों।।
का सहारा।
मन की करणी।।
तन की धरणी।
समय ने तारी।।
सबकी कारा।
जीवन प्रहरी।।
मात्र एक धारा।
कुंज वनों में।।
रास की लीला।
तन से नीला।
मन से गिला।।
नाच रहा जग।
तेरी उंगलियों ।
पर सारा।।
देख रहा है जग।।
ये सारा।
तेरा ही है श्वाश सहारा।।
-सोहन सिंह

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